अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष 2023 - International Year of Millet 2023

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राजस्थान में पूरे देश का एक तिहाई मोटे अनाज का उत्पादन होता है, लेकिन राजस्थान सरकार इन किसानों की मोटे अनाज बिक्री के लिए कोई योजना नहीं चलाती है। उल्लेखनीय है कि यह मोटा अनाज उन किसानों के यहां होता है जो सिंचाई के साधन नहीं होने के कारण गेहूं या चावल नहीं ऊगा पाते हैं। राजस्थान सरकार को चाहिए कि इन किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए इनके मोटे अनाज की बिक्री के लिए न्यूनतम खुदरा मूल्य जारी करें और उस मूल्य पर मोटे अनाज की खरीद करें।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मार्च 2021 में अपने 75वें सत्र में 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष (IYM 2023) घोषित किया । खाद्य एवं कृषि संगठन अन्य प्रासंगिक हितधारकों के सहयोग से वर्ष मनाने के लिए प्रमुख एजेंसी है। बाजरा कम से कम निवेश के साथ शुष्क भूमि पर बढ़ सकता है और जलवायु में परिवर्तन के लिए लचीला होता है। इसलिए वे देशों के लिए आत्मनिर्भरता बढ़ाने और आयातित अनाज पर निर्भरता कम करने के लिए एक आदर्श समाधान हैं। 

#IYM2023 बाजरा के पोषण और स्वास्थ्य लाभों और प्रतिकूल और बदलती जलवायु परिस्थितियों में खेती के लिए उनकी उपयुक्तता के बारे में जागरूकता बढ़ाने और सीधे नीतिगत ध्यान देने का अवसर होगा। उत्पादकों और उपभोक्ताओं के लिए नए स्थायी बाजार के अवसर प्रदान करने की उनकी क्षमता को उजागर करते हुए, यह वर्ष बाजरा के स्थायी उत्पादन को भी बढ़ावा देगा।

कई अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित रिसर्च में बतया गया कि जो लोग पर्याप्त मात्रा में हरी सब्जियां और मोटे अनाज को नहीं खाते हैं उनमें नसों से जुड़ी बीमारियां नहीं होती है। मोटा अनाज खाने से मोटापा घटता है तथा संक्रमण भी नहीं होता है। बाजरा उन्हीं में से एक है। 

जिसके लिए अंतरराष्ट्रीय जागरूकता के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजरा दिवस मनाया जा रहा है। चावल और गेहूं की तुलना में बाजरा को खाने से 350%  अधिक पोषक तत्व मिलते हैं, और इनको खाने से बीपी कोलेस्ट्रॉल और वजन नियंत्रित रहता है। इससे हृदय रोग, कैंसर और मधुमेह जैसी रोगों को जोखिम घटता है। 

भारत में मोटा अनाज खाने का प्रचलन पुराने समय से है लेकिन पिछले कुछ समय से लोगों ने इस से दूरी बना ली इस वजह से मोटापे और लाइफस्टाइल से जुड़े रोगियों की संख्या बढ़ गई है। पहले हमारे खाने में ज्वार, बाजरा, जो, कोदो, रागी, सांबा, कुटकी, जीना व कांगनी हुआ करते थे, और उनसे मिलने वाले तत्व हमें हर तरह की बीमारियों से बचा देते थे। उनसे कुपोषण भी दूर होता है. 

चूंकि राजस्थान में बाजरा एक प्रमुख फसल है, इससे बाजरा स्थानीय किसान का उगाया हुआ ही नागरिक खा सकते हैं। मोटे अनाज में बीटा, कैरोटीन, नियासिन, विटामिन b6, फोलिक एसिड, पोटैशियम, जस्ता, मैग्नीशियम और विटामिन बहुत मात्रा में पाए जाते हैं और स्वास्थ्य की दृष्टि से इनमें फाइबर भी बहुत मिलता है तथा पाचन ठीक रखकर इम्यूनिटी भी कम नहीं होने देता है।

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