राजस्थान हिंदी इंजीनियरिंग में शुरुआत तक नहीं

 

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राज्य में इंजीनियरिंग में प्रवेश लेने वाले 40 फीसदी छात्र हिंदी मीडियम से आते

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने अंग्रेजी के साथ क्षेत्रीय भाषाओं में भी इंजीनियरिंग पढ़ाने के निर्देश जारी कर रखे हैं। दूसरे राज्यों में इस पर काम शुरू हो गया है। वहां के कॉलेजों में अंग्रेजी के साथ क्षेत्रीय भाषाओं में भी इंजीनियरिंग में पढ़ाई का विकल्प दिया जाता है। लेकिन राजस्थान में अभी तक इसकी शुरुआत नहीं हो पाई है।राज्य में 93 इंजीनियरिंग कॉलेजों में सिर्फ अंग्रेजी में ही इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराई जा रही है। इसका नुकसान हिंदी मीडियम छात्रों को हो रहा है। राजस्थान की बात करें तो इंजीनियरिंग में प्रवेश लेने वाले 40 से 50 फीसदी छात्र हिंदी मीडियम से आते हैं। ऐसे में अंग्रेजी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान उन्हें परेशानी होती है। ये छात्र खुद को अंग्रेजी माध्यम छात्रों से अलग समझते हैं।

11 क्षेत्रीय भाषाओं में किताबों का अनुुवाद

नई शिक्षा नीति के तहत क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई को प्रमोट करने के लिए एआईसीटीई ने 11 भाषाओं में इंजीनियरिंग की किताबों का अनुवाद कराया है। इनमें हिंदी, पंजाबी, गुजराती, बंगाली, तमिल, उड़ीसा, मलयालम, तेलुगू, मराठी सहित अन्य भाषा शामिल हैं। कई राज्यों में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कंम्यूनिकेशन सिविल, इलेक्ट्रिकल, कम्प्यूटर साइंस की कुछ ब्रांच में क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाई हो रही है।

हिंदी मीडियम में शुरू हो पढ़ाई तो मिलेगा फायदा प्लेंसमेंट में नहीं आती दिक्कत

कॉलेजों को हिंदी में भी इंजीनियरिंग में पढ़ाई कराने के लिए आगे आना चाहिए। छात्रों में यह धारणा है कि हिंदी भाषा में इंजीनियरिंग करने पर प्लेंसमेंट अच्छे नहीं मिलते। लेकिन ऐसा नहीं है। नौकरी में इसका कोई असर नहीं पड़ता। छात्र अपनी मातृभाषा में पढ़ाई कर सकेंगे। हिंदी मीडियम छात्रों को परेशानी नहीं होगी। वे आसानी से अपनी पूरी डिग्री कर सकते हैं। 
रोहित भांकर, एसोसिएट प्रोफेसर, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग, एमएनआईटी

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