ईआरसीपी के लिए बजट में प्रावधान करने व राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग
ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना किसान विकास समिति के कार्यकर्ता गांवों में जाकर बांट रहे पीले चावल
पूर्वी राजस्थान के लोगपानी के लिए क्षेत्र के किसान अब लामबंद होने लगे हैं। पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना से प्रभावित किसान विकास समिति के आह्वान पर 14 जनवरी को 50 गांवों के किसान टोडाभीम के गांव भोपुर में एकत्र होंगे और सरकार से ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की पुरजोर ढंग से मांग करेंगे। इस किसान महापंचायत को सफल बनाने के लिए पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना किसान विकास समिति के कार्यकर्ता एवं पंच-पटेल गांवों में जाकर जनसंपर्क करने के साथ आमजन को पीले चावल देकर महापंचायत में आने का न्यौता दे रहे हैं।
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना किसान विकास समिति के पदाधिकारी प्रदेशाध्यक्ष ने बताया कि पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों में पानी के अभाव में सिंचाई और पेयजल की समस्या गंभीर बनी हुई है। किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में किसान महंगे दामों में पानी खरीदने को मजबूर हैं। उन्होंने बताया कि करौली और भरतपुर जिलों में सिंचाई और पेयजल का प्रमुख स्रोत गंभीर नदी कई सालों से सूखी पड़ी है। ऐसे हालातों में जलस्तर लगातार गिरता जा रहा है। सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं होने से किसान कर्जदार हो रहे हैं।
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना किसान विकास समिति के प्रदेश मीडिया प्रभारी ने बताया कि गत दिनों भोपुर गांव में क्षेत्र के 20 गांवों के पंच-पटेल एकत्र हुए और गंभीर नदी में भोपुर गांव के पास क्षतिग्रस्त एनीकट और गंभीर में पानी नहीं होने से सिंचाई व पेयजल के गहराते जा रहे संकट पर चिंता जताई। 20 गांवों की इस पंचायत में पंच-पटेलों के आमंत्रण पर किसान नेता एवं किसान विकास समिति के अन्य पदाधिकारी पहुंचे, जिन्होंने पंच-पटेलों की बात सुनने के बाद एनीकट निर्माण व गंभीर में पानी के संबंध में विस्तार से विचार विमर्श किया।
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना किसान विकास समिति के पदाधिकारी प्रदेशाध्यक्ष ने बताया कि पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों में पानी के अभाव में सिंचाई और पेयजल की समस्या गंभीर बनी हुई है। किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में किसान महंगे दामों में पानी खरीदने को मजबूर हैं। उन्होंने बताया कि करौली और भरतपुर जिलों में सिंचाई और पेयजल का प्रमुख स्रोत गंभीर नदी कई सालों से सूखी पड़ी है। ऐसे हालातों में जलस्तर लगातार गिरता जा रहा है। सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं होने से किसान कर्जदार हो रहे हैं।
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना किसान विकास समिति के प्रदेश मीडिया प्रभारी ने बताया कि गत दिनों भोपुर गांव में क्षेत्र के 20 गांवों के पंच-पटेल एकत्र हुए और गंभीर नदी में भोपुर गांव के पास क्षतिग्रस्त एनीकट और गंभीर में पानी नहीं होने से सिंचाई व पेयजल के गहराते जा रहे संकट पर चिंता जताई। 20 गांवों की इस पंचायत में पंच-पटेलों के आमंत्रण पर किसान नेता एवं किसान विकास समिति के अन्य पदाधिकारी पहुंचे, जिन्होंने पंच-पटेलों की बात सुनने के बाद एनीकट निर्माण व गंभीर में पानी के संबंध में विस्तार से विचार विमर्श किया।
इस पंचायत में 20 गांवों के पंच-पटेलों ने भोपुर गांव की गंभीर नदी स्थित संत अडगानंद महाराज के आश्रम एवं एनीकट के समीप 14 जनवरी को किसान महापंचायत आयोजित करने का निर्णय किया। उसके बाद से किसान नेता रामनिवास मीना के आव्हान पर किसान विकास समिति के कार्यकर्ता एवं पंच-पटेल किसान महापंचायत की सफलता के लिए जुट गए हैं।
पीले चावल बांट रहे न्यौता
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना किसान विकास समिति 14 जनवरी को भोपुर की गंभीर नदी के एनीकट के पास होने वाली किसान महापंचायत को सफल बनाने के लिए गांवों में जाकर पीले चावल बांट रहे हैं और किसानों को महापंचायत में आने का न्यौता दे रहे हैं।
चम्बल लिफ्ट परियोजना को आगामी बजट में स्वीकृति प्रदान करने एवं पांचना बांध से कमांड एरिया की नहरों में पानी खोलने की मांग को लेकर बुधवार को राजस्थान आदिवासी मीणा महासभा एवं ग्रामोत्थान संस्था के कार्यकर्ता और किसानों ने कलक्ट्रेट के बाहर धरना देकर प्रदर्शन किया।
साथ ही मुख्यमंत्री के नाम कलक्टर अंकित कुमार सिंह को ज्ञापन सौंप कर समस्या समाधान की मांग की। महासभा के प्रदेशाध्यक्ष व ग्रामोत्थान संस्था के महासचिव ने बताया कि चम्बल के पानी को लेकर करौली व सवाई माधोपुर जिलों में क्षेत्रवार संघर्ष छिडा हुआ है।

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